आंत और उसकी बीमारियां
आंत की लंबाई ६ मीटर की होती है| आंत के दो भाग होते हैं – छोटी आंत और बड़ी आंत| बड़ी आंत को कोलन भी बोलते हैं|
छोटी आंत एक लम्बी नाली होती है जो एक तरफ जठर से जुड़ा है और दूसरी तरफ बड़ी आंत से जुडी हुई है| इसके तीन भाग होते हैं – इनके नाम हैं डुओडेनम, जेजुनम, और इलयम| हर एक भाग के कुछ अलग कार्य होते हैं|
छोटी आंत का मुख्य काम है भोजन से पाए गए पोषक तत्वों का संक्रमण करना| जो बचता है उसको पेरिसटलसिस नमक प्रक्रिया से आगे बड़ी आंत मैं धकेलता है|
बड़ी आंत मैं से पानी अवशोषित हो जाता है और मल बनता है| बड़ी आंत इस मल को आगे धकेलती है और उसको रेक्टम तक पहुंचती है| रेक्टम – यह आंत का आखरी हिस्सा होता है| मल के यहाँ पहुंचने पर दिमाग में सिगनल जाता है की मलत्याग की तैयारी है|
आंत की बड़ी बिमारियों के बारे में जानकारी
सीलयाक रोग
इस बीमारी में गेहू में पाए जाने वाले ग्लूटेन नमक प्रोटीन के सामने शरीर और आंत में अस्वाभाविक प्रतिक्रिया (रिएक्शन) होती है| यह प्रोटीन गेहू के अलावा जौ में भी होता है| इस बीमारी में छोटी आंत की पाचनक्रिया में नुकसान होता है और इस वजह से पोषक तत्त्व का संक्रमण नहीं हो पाता| यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है| साधारण तौर से दस्त और वजन काम होने के लक्षण होते हैं| कभी असाधारण लक्षण भी होते हैं जैसे खून की कमी, हड्डी कमजोर होना या निःसंतानता| आधे दर्दियो को कोई लक्षण नहीं होते या मामूली लक्षण होते हैं जैसे गैस और आफरा| इसका निदान होता है रक्त की जाँच और दूरबीन द्वारा आंत के नमूने से| दर्दियों को ग्लूटेन रहित खोराक लेना होता है, और इससे जल्द सुधर देखने मिलता है|
क्रोहन्स रोग
यह छोटी और बड़ी आंत की सूजन की बीमारी है| इस बीमारी के कारण की जांच जारी है| पेट दर्द, दस्त, खून और वजन की कमी होने इसके लक्षण है| लम्बे समय तक सूजन होने से आंत सिकुड़ जाती है, और इससे आंत में रूकावट (blockage) आती है| गुदा की जगह पे फिस्टुला भी बन सकता है| इसके निदान के लिए तीनो पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है – CT स्कैन या MRI , दूरबीन जांच और बाओप्सी (नमूने की जांच)| इलाज में सूजन काम करने की दवाई दी जाती है और इसमें स्टेरॉयड भी शामिल है| कुछ दर्दियों को ऑपरेशन की भी ज़रुरत पड़ती है| आंत के अलावा फेफड़ो, चमड़ी, आँख और जोड़ों पे भी तकलीफ हो सकती है|
अल्सरेटिव कोलाइटिस
यह बड़े आंत की सूजन और अलसर की बीमारी है| इस बीमारी के कारण की जांच जारी है| आंत के अंदरूनी भाग में सूजन और चले हो जाते हैं| खून की दस्त की तकलीफ होती है|आंत के अलावा फेफड़ो, चमड़ी, आँख और जोड़ों पे भी तकलीफ हो सकती है| इसका निदान दूरबीन जांच और बाओप्सी (नमूने की जांच) से होती है| इलाज में सूजन काम करने की दवाई दी जाती है और इसमें स्टेरॉयड और मिसलअमिन जैसी दवाइया शामिल है| कुछ दर्दियों को ऑपरेशन की भी ज़रुरत पड़ती है|
टीबी (क्षय रोग)
टीबी के कीटाणु बड़ी आंत में और छोटी आंत के आखिरी हिस्से में ज़्यादा पाया जाता है| इसके लक्षण में बुखार, पेट दर्द, वजन काम होना, और दस्त वगेरे होते हैं| इसका निदान दूरबीन जांच और बाओप्सी (नमूने की जांच) से होती है| टीबी और क्रोहन्स रोग में भेद करना मुश्किल हो सकता है| टीबी की दवाइयां ६ से ८ महीने लेनी पड़ती है और दवाई का असर २ से ३ महीने में दिखने लगता है| कुछ दर्दियों को ऑपरेशन की भी ज़रुरत पड़ती है|
कैंसर
कैंसर की बीमारी छोटी और बड़ी अनंत दोनों में हो सकती है| सबसे ज़्यादा जोखम होता है बड़ी उम्र, ज़्यादा चर्बी और काम फाइबर (रेशों) वाला खोराक, परिवार या नज़दीक के रिश्तेदारों में कैंसर का इतिहास| क्रोहन्स रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस के दर्दियों को भी अधिक जोखम होता है| इसके लक्षण में है आंत के कार्य हैं बदलाव होना – जैसे दस्त या कब्ज, मल में खून आना, वजन काम होना, या पेट में गाँठ महसूस होना| सोनोग्राफी या CT स्कैन से कैंसर का संदेह हो सकता है और दूरबीन जांच और बाओप्सी (नमूने की जांच) से निदान पक्का हो जाता है| इलाज में सर्जरी और/या कीमो होता है|